भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले क्यों गिर रहा हैपिछले कुछ दिनों से लगातार भारतीय रुपए $डॉलर के मुकाबले गिरता जा रहा है इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब रुपया गिरकर ₹
80 प्रति डॉलर तक पहुंच गया है! हमारी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जाता है यह बात तो हम बचपन से ही सुनते आए हैं!
लेकिन असल में रूपया गिरने से कैसे भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव क्या देखने को मिलता है इस बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं! आखिर क्या वजह है डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी कमजोर होता जा रहा है और रुपए के कमजोर होने से देश के लोगों पर क्या असर पड़ेगा नुकसान है या फिर देश को इससे कुछ लाभ भी मिलता है ! रुपया गिरने का कुछ लाभ भी देश को मिलता है और क्या लगातार रुपया गिरता रहा तो हमारा देश भी पाकिस्तान या श्रीलंका की तरह कंगाल हो जाएगा इस तरह की बहुत से सवालों के जवाब हम आपको इस पोस्ट में देने वाले है ! हाल ही में खबर आई थी कि एक डॉलर के मुकाबले रुपए का भाव 80 के पार पहुंच गया है तो सबसे पहले तो हम यह जानने की कोशिश करते हैं ! आखिर रुपया गिरता ही क्यों है रुपया गिरने के कई मुख्य कारण है! इनमें पहला है विदेशी मुद्रा भंडार जितना कम होगा उतना ही उस देश की करेंसी डेप्रिसिएट होगी! पिछले साल तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 635 से 36 बिलियन डॉलर थे लेकिन आज आंकड़ा गिरकर 580.252 बिलीयन डॉलर्स तक पहुंच गया है यानी 1 साल में फॉरेक्स रिजर्व में बहुत बड़ी गिरावट देखने को मिली है! आज दुनिया के जयदार देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में $1 के रूप में ही करेंसी रहते हैं $20 से ही दुनिया के ज्यादातर देश व्यापार करते हैं! इसकी वैल्यू कम होने का खतरा भी नहीं रहता है भारतीय सरकार पिछले कुछ समय से लगातार डॉलर खरीदने की कोशिश कर रही लेकिन उसके बाद भारतीय सरकार पिछले कुछ समय से लगातार $डॉलर खरीदने की कोशिश कर रही है लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार में उसके बावजूद गिरावट दर्ज की जा रही है! वही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है! रूस और यूक्रेन के युद्ध शुरू होने के बाद से भारतीय रुपया के मुकाबले 5% कमजोर हुआ है हालांकि आंकड़ा बहुत ज्यादा बुरा नहीं है और देशों की मुद्रा के मुकाबले भारतीय मुद्रा आज भी मजबूत स्थिति में नजर आती है! अब तक बांग्लादेश की करेंसी 8.2 कमजोर हुई है ऐसी स्थिति में है ! वही चीन की करेंसी भी 5.7% कमजोर हुई है! ऐसे में भारत अभी भी कई देशों से काफी बेहतर स्थिति में है असल में क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने से भारत को ज्यादा रकम चुकानी पड़ती है मान लीजिए भारत ने $100000 का तेल अपने देश में इंपोर्ट किया इसके लिए पहले भारतीय मुद्रा के अनुसार 7000000 लाख रुपय का भुगतान भारत को करना पड़ता था ! वो भी डॉलर में करना पड़ता है ! जिससे भारत के रिजर्व में रखा हुआ डॉलर भी देश के बाहर जाता है और रुपया डॉलर के मुकाबले और कमजोर होता है! डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने का एक और प्रमुख कारणयह भी है! भारत हर साल अलग-अलग देशो से सामान Import करता है और अपने देश से काफी सामान अन्य देशों को भी Export भी करता है! भारत अन्य देशों से ज्यादा सामान खरीद रहा है लेकिन उतनी मात्रा में अपने देश का सामान बाहर नहीं भेज पा रहा है इस देश का डॉलर दोस्तों बाहर जाता है और बदले में कम डॉलर देश में आता है! कोरोनावायरस का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है ऐसे में जो भी बड़े-बड़े इन्वेस्टर है वे ऐसी जगह अपना पैसा इन्वेस्ट करने की सोचते हैं जहां उनका पैसा सेव रहे! एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोनावायरस अब तक विदेशी इन्वेस्टर से भारत के बाजार से 30 मिलियन $ का इन्वेस्टमेंट वापस ले लिया है! असल में USA कैपिटल रिजर्व बैंक ने इंटरेस्ट रेट में कुछ प्रतिशत की बढ़ोतरी की है ! अगर इन्वेस्टर अमेरिका के बैंक में अपना पैसा निवेश करेंगे तो उन्हें पहले के मुकाबले ज्यादा ब्याज मिलेगा! इससे अमेरिका के बैंक में ज्यादा पैसा इकट्ठा हो रहा है ! वहां पर इन्फ्लेशन रेट 9.1% तक पहुंच गया है! आप को हमने पहले ही बता दिया है की जिस देश के पास जितना ज्यादा डॉलर होगा उसकी करेंसी होती ही ज्यादा मजबूत होगी! वहां पर इंप्रेशन रेटिंग 9.1 परसेंट तक पहुंच गया है विकसित देश के लिए बहुत ज्यादा है ! लेकिन इससे कहीं ना कहीं अमेरिका को फायदा ही हो रहा है क्योंकि उनकी करेंसी की वैल्यू वैश्विक स्तर पर लगातार मजबूत हो रही है! रुपए के कमजोर होने का एक और कारण है! आज के समय में भारत का कुल विदेशी कर्ज 621 बिलीयन डॉलर्स का है! इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि यह कर भारत ने लंबे समय के लिए ले रखा है लेकिन कुछ शॉर्ट टर्म लोन की भारत ने लिए हुए हैं ! जिन्हें इस साल के अंत तक भारत को चुकाना होगा! असा करता हूँ आप को ये पोस्ट पसंद आया होगा! इसी तरह के और भी पोस्ट लाता रहूँगा!